चर्चा में क्यों है ?
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में कृषि क्षेत्र में उठाए गए कदमो की चर्चा करते हुए काला चावल यानी ब्लैक राइस का ज़िक्र किया ,उन्होंने बताया कि इस चावल की खेती किसानों के घरों में समृद्धि लेकर आ रही है।
यूएनडीपी द्वारा जारी एक रिपोर्ट में असम के गोलपारा जिला प्रशासन द्वारा शुरू किये गये ई-कॉमर्स पोर्टल गोल मार्ट की सराहना की गयी है, गोलपारा का काला चावल इस पोर्टल पर पसंदीदा उत्पाद है।
काला चावल क्या होता है ?
- ब्लैक राइस या काला चावल सामान्य तौर पर आम चावल जैसा ही होता है। इसकी शुरुआती खेती चीन में होती थी। वहीं ये इसकी खेती असम और मणिपुर में शुरू हुई और फिर धीरे धीरे देश के अन्य जगहों पर भी किसानों ने इसे उगाना चालू कर दिया।
- गौरतलब है कि काला चावल एंथोसायनिन नामक वर्णक (Pigment) से अपना विशिष्ट काला-बैंगनी रंग प्राप्त करता है, जिसमें शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं।
यूपी के चंदौली की पहचान बना काला चावल :
उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले ने वैश्विक बाजारों में काले चावल की जबरदस्त मांग और अच्छे मुनाफा मार्जिन को देखते हुए उसकी खेती के साथ प्रयोग करने का निर्णय लिया था । यह परियोजना सफल रही और अब ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड को उच्च गुणवत्ता वाले काले चावल का निर्यात किया जाता है।
काले चावल की प्रमुख विशेषताऍ :
- काला चावल मोटापा कम करने के लिए काफी फायदेमंद होता है,अक्सर मोटापा कम करने के लिए चावल नहीं खाने की सलाह दी जाती है लेकिन इससे मोटापा कम करने में फायदा मिलता है।
- काला चावल शरीर के कोलेस्ट्रॉल को घटाता है जो दिल के लिए अच्छा माना जाता है. यह हार्ट अटैक आने की संभावनाओं को कम करता है।
- काले चावल से शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है क्योंकि इसमें एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होती है. ये कैंसर जैसी बीमारियों से भी दूर रखता है।
- ऐसा माना जाता है कि काला चावल शरीर से अवांछित तत्वों को निकालने में सहायक होता है. ये लिवर को भी स्वस्थ्य रखता है।
आगे की राह :
काले चावल की खेती किसानों की आय दोगुनी करने में मददगार सिद्ध हो सकती है तथा कृषि को एक लाभ का व्यवसाय बना सकती है। अतः सरकार को काले चावल की खेती को बढ़ावा देना चाहिए।