चर्चा में क्यों है ?
हाल ही में उत्तर प्रदेश के वाराणसी में शैवाल प्रस्फुटन को गंगा नदी में देखा गया ,जिसका जलीय जीव जन्तुओं पर प्रतिकूल असर हो सकता है।
शैवाल प्रस्फुटन (Algal Bloom) क्या होता है ?
- जलीय पारितंत्र में तीव्र गति से शैवालों की वृद्धि को एल्गी ब्लूम कहा जाता है।
- एल्गी ब्लूम प्राकृतिक व अप्राकृतिक दोनों रूपों में होते हैं। स्थिर एवं गर्म पानी में एल्गी अपने आपको मात्रात्मक रूप से बढ़ा लेते हैं। जब एल्गी ब्लूम जलीय पारितंत्र पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं तो इसे हानिकारक एल्गी ब्लूम (Harmful Algal Bloom) कहा जाता है।
शैवाल प्रस्फुटन (Algal Bloom) के कारण :
- जल में पोषक तत्वों का बढ़ जाना ( Nutrient Enrichment ) : यूट्रोफिकेशन यानि जल में पोषक तत्वों का बढ़ जाना एल्गी ब्लूम का प्रमुख कारण है। यूट्रोफिकेशन में योगदान देने वाले मुख्य पोषक तत्व फास्फोरस और नाइट्रोजन हैं। इन पोषक तत्वों के स्रोत कृषि कार्यों में उपयोग होने वाले रासायनिक पदार्थ और सीवेज प्रवाह आदि हैं।
- शुरुआती नीले-हरे रंग के शैवाल आमतौर पर बसंत के दौरान विकसित होते हैं जब पानी का तापमान अधिक होता है और प्रकाश में वृद्धि होती है। सायनोबैक्टीरिया के विकास के लिए 25 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पानी का तापमान अनुकूल होता है।
- वे कम प्रवाह, हल्की हवाओं और स्थिर पानी की स्थिति पसंद करते हैं।
प्रभाव :
- मीठे पानी की झीलों का नुकसान, यूट्रोफिकेशन, अंततः झीलों में डेट्रिटस परत बन जाता है।
- वे सूर्य के प्रकाश के प्रवेश को प्रतिबंधित करते हैं जिसके परिणामस्वरूप जलीय पौधों की मृत्यु हो जाती है।
- साइनोबैक्टीरिया या उनके विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आने से त्वचा पर चकत्ते, आंखों में जलन और श्वसन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
- इससे से जुड़ी आर्थिक चिंताओं में पेयजल उपचार लागत में वृद्धि, मनोरंजक राजस्व की हानि, जलीय कृषि और मत्स्य पालन राजस्व की हानि, और पशुधन बीमारी या मृत्यु शामिल है।
शैवाल प्रस्फुटन रोकने के उपाय :
- जागरूकता कार्यक्रम चलाना
- जैविक खेती को बढ़ावा देना।
- अपमार्जकों में फास्फेट का उपयोग कम करना।
- फॉस्फेट और नाइट्रेट को हटाने के लिए तृतीयक सीवेज उपचार विधियों का उपयोग करना।
- वाहनों और बिजली संयंत्रों से नाइट्रोजन के उत्सर्जन में कमी लाना ।
शैवाल प्रस्फुटन (Algal Bloom)
शैवाल प्रस्फुटन को English m kya khte h
Algae Blooms