Vidhik Nibandh विधिक निबंध (सभी राज्यों की न्यायिक परीक्षाओं {सिविल न्यायधीश, एच.जे.एस., एपीओ} हेतु)

200.00

Code : Law- 09
 Language : Hindi
 ISBN : 9789382684725

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विधिक निबंध

सभी राज्यों ड उत्तर प्रदेश (APO, बिहार (APO, PCS-J), झारखंड APO, PCS-J), राजस्थान (PCS-J), मध्य प्रदेश (PCS-J), छत्तीसगढ़ (PCS-J) एवं उत्तराखंड (PCS-J) सहित़ की न्यायिक परीक्षाओं हेतु

विषय-सूची

♦ न्यायालयों की न्यायिक कार्यप्रणाली में मीडिया ट्रायल का प्रभाव
♦ विधिक शिक्षा में सुधार
♦ आतंकवाद एवं न्यायिक व्यवस्था : भारत के संदर्भ में
♦ शांति की ओर उत्तर-पूर्व
♦ निजता का अधिकार
♦ अपराधों का पता लगाने तथा रोकथाम में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की भूमिका
♦ आतंकवाद एवं मानवाधिकार अथवा मानवाधिकार से संबंधित सार्वभौमिक घोषणा पत्र
♦ वापस बुलाने का अधिकार
♦ नागरिकता संशोधन अधिनियम, २०१९
♦ न्यूनतम शासन, अधिकतम अभिशासन
♦ लोकसभा एवं विधासभाओं के चुनाव एक साथ कराने की आवश्यकता? अथवा  एक देश – एक चुनाव
♦ सहभागी लोकतंत्र : लोकतंत्र का सर्वाधिक जनपक्षधर स्वरूप/वर्तमान की जरूरत एवं भविष्य की अनिवार्यता/अवधारणा एवं भारतीय  अनुभव
♦ सहभागी अथवा सहकारी संघवाद
♦ भारत में सुशासन अथवा सुशासन किसी देश की प्रगति की वुँâजी है
♦ राजनीति और नैतिकता अथवा वर्तमान राजनीति-मानवीय मूल्यों के संदर्भ में
♦ भारतीय लोकतंत्र : सबल और दुर्बल पक्ष
♦ भारत की धर्मनिरपेक्ष संस्कृति अथवा भारतीय संविधान में धर्मनिरपेक्षता
♦ भारतीय संविधान के सामाजिक-आर्थिक सरोकार अथवा भारतीय संविधान का  सामाजिक-आर्थिक आधार एवं दर्शन
♦ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ जुड़ी है जिम्मेदारी अथवा स्वतंत्रता और दायित्वबोध अथवा  मुक्त अभिव्यक्ति के खतरे अथवा  लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
♦ भारत में चुनाव सुधार : पहलें एवं चुनौतियां अथवा भारत में चुनाव सुधार : जीवंत लोकतंत्र की आवश्यकता अथवा चुनावी प्रक्रिया में सुधार की आवश्यकता अथवा चुनाव और भारतीय लोकतंत्र
♦ भारत में स्वतंत्रता कितनी मुक्त?
♦ भारत : नरम राज्य अथवा कठोर राज्य
♦ भारत में पंचायती राजव्यवस्था
♦ अन्तर्राज्यीय नदी जल-विवाद
♦ भ्रष्टाचार : कारण और निवारण अथवा भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम और राजनीतिक संकट अथवा भ्रष्टाचार की अपसंस्कृति और हम
♦ भारत में इच्छामृत्यु : स्वरूप एवं सीमा अथवा इच्छामृत्यु
♦ भारत में सरोगेसी की नैतिक स्वीकार्यता अथवा  सरोगेसी और समाज  अथवा सरोगेसी : संगतियाँ-विसंगतियाँ
♦ ऑनर किलिंग अथवा वैâसे रुक सकती हैं मान रक्षा हत्याएं
♦ भारत में उपभोक्ता संरक्षण अथवा जागो ग्राहक, जागो अथवा भारत में कितने संरक्षित हैं उपभोक्ताओं के हक
♦ भारत में मृत्युदण्ड
♦ भारत में नारी सशक्तीकरण की पहलें अथवा नारी-शक्ति को बल वैâसे दें?
♦ अनुच्छेद ३७० का समापन
♦ तीन तलाक : एक कुप्रथा का अंत
♦ भारत में लोकपाल
♦ भारत में आरक्षण के औचित्य पर प्रकाश डालिए अथवा आरक्षण का औचित्य अथवा भारत में आरक्षण नीति : आवश्यकता एवं समस्याएं अथवा आरक्षण से हानि-लाभ
♦ सूचना का अधिकार : विकास की वुँâजी अथवा क्या सूचना का अधिकार अधिनियम स्वच्छ एवं न्यायपूर्ण प्रशासन सुनिश्चित कर सकता है? अथवा सूचना क्रांति के रूप में आरटीआई अधिनियम की भूमिका अथवा सूचना का अधिकार और भ्रष्टाचार अथवा सूचना का अधिकार और जनविश्वास अथवा सूचना के अधिकार का मौजूदा परिदृश्य
♦ भारत में कितना जरूरी है सिटीजन चार्टर
♦ भारत में न्यायिक सुधार अथवा भारत में त्वरित न्याय की आवश्यकता अथवा न्याय में विलंब, न्याय से इंकार
♦ भारत में न्यायिक सक्रियता : अर्थ, औचित्य तथा सीमाएं अथवा न्यायिक सक्रियता और भारत का लोकतंत्र अथवा न्यायिक सक्रियतावाद     १४१-१४४
♦ भारत में ग्राम अदालतों की प्रासंगिकता अथवा न्याय को गरीब तक पहुंचना ही चाहिए अथवा मौजूदा दौर में ‘न्याय आपके द्वार’ अवधारणा की प्रासंगिकता अथवा ग्राम न्यायालय का महत्त्व
♦ भारत में पुलिस सुधार अथवा भारतीय पुलिस में सुधारों की त्वरितता की आवश्यकता अथवा भारत में पुलिस स्वायत्तता
♦ साइबर क्राइम अथवा साइबर विश्व : इसके आकर्षण और चुनौतियां अथवा साइबर अपराध : एक जटिल समस्या अथवा साइबर क्राइम : एक वैश्विक समस्या
♦ भारत और मानवाधिकार अथवा मानवाधिकारों के संरक्षण की आवश्यकता और उनके क्रियान्वयन के उपाय
♦ राजनीति का अपराधीकरण
♦ समान नागरिक संहिता पर लोकतांत्रिक संवाद की जरूरत अथवा सामान्य नागरिक संहिता
♦ गरीबों के लिए मुफ्त कानूनी सहायता अथवा न्याय सबके लिए
♦ कानून के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन

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