हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ‘गहरे समुद्र मिशन’ को अनुमति प्रदान कर दी। इससे समुद्री संसाधनों की खोज और समुद्री प्रौद्योगिकी के विकास में मदद मिलेगी और समुद्र के संसाधनों का सतत इस्तेमाल हो सकेगा।
मिशन से सम्बंधित मुख्य बातें
- गौरतलब है कि समुद्र में 6000 मीटर नीचे कई प्रकार के खनिज हैं। इन खनिजों के बारे में अध्ययन नहीं हुआ है । इस मिशन के तहत खनिजों के बारे में अध्ययन एवं सर्वेक्षण का काम किया जाएगा। इस मिशन के तहत गहरे समुद्र में खनन और मानवयुक्त पनडुब्बी के लिए प्रौद्योगिकियों का विकास किया जाएगा।
- इसमें तीन लोगों को समुद्र में 6,000 मीटर की गहराई तक ले जाने के लिए वैज्ञानिक सेंसर और उपकरणों के साथ एक मानवयुक्त पनडुब्बी विकसित की जाएगी। बहुत कम देशों ने यह क्षमता हासिल की है।
- इस मिशन के 6 प्रमुख घटक हैं, जिसमें गहरे समुद्र में खनन और मानवयुक्त सबमर्सिबल के लिए तकनीक विकसित करना, समुद्री जलवायु परिवर्तन संबंधी सलाहकारी सेवाएं विकसित करना, गहरे समुद्र की जैव विविधता के संतक्षण और उसके दोहन के लिए तकनीक की खोज, गहरे समुद्र में सर्वे और अन्वेषण, ऑफशोर एनर्जी और समुद्र से ताजा जल और समुद्री जीव विज्ञान के लिए उन्नत समुद्री स्टेशन विकसित करना शामिल है। इसके अलावा ऑफशोर थर्मल एनर्जी सेंटर भी होगा, जिससे नए उभरते क्षेत्रों को मदद मिलेगी।
- उल्लेखनीय है कि अमेरिका, रूस, फ्रांस, जापान और चीन के बाद भारत छठा ऐसा देश होगा, जिसके पास यह तकनीक होगी।
मिशन का लाभ– सरकार के मुताबिक इससे रोजगार के अवसर पैदा करने के अलावा विशेष उपकरणों, जहाजों के डिजाइन, विकास और निर्माण और आवश्यक बुनियादी ढांचे की स्थापना से भारतीय उद्योग, विशेष रूप से एमएसएमई और स्टार्ट-अप के विकास को गति मिलने की उम्मीद है। उन्होंने कहा, ‘हमारे एमएसएमई और शोध के लिए यह बेहतर मौका होगा। इससे हमारे आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को भी बल मिलेगा।’
क्या है डीप ओशन मिशन
- विदित हो कि उपग्रहों का डिज़ाइन तैयार करने और उन्हें लॉन्च करने में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के सफल कार्यों का अनुकरण करते हुए भारत सरकार ने महासागर के गहरे कोनों का पता लगाने के लिये ₹ 8,000 करोड़ की लागत से पाँच वर्षों हेतु यह योजना तैयार की है।
- इसके लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये प्रमुख परिदेयों में से एक अपतटीय विलवणीकरण संयंत्र है जो ज्वारीय ऊर्जा के साथ काम करेगा, और साथ ही एक पनडुब्बी वाहन विकसित करना है जो बोर्ड पर तीन लोगों के साथ कम-से-कम 6,000 मीटर की गहराई तक जा सकता है।
- इन तकनीकी विकासों को सरकार की एक अम्ब्रेला (यानी समग्र); योजना महासागर सेवा, प्रौद्योगिकी, अवलोकन, संसाधन मॉडलिंग और विज्ञान (Ocean Services, Technology, Observations, Resources Modelling and Science-O-SMART) के तहत वित्तपोषित किया जाएगा।
गहरे समुद्र मिशन(Deep Ocean Mission) को मंत्रिमंडल की मंजूरी