गुजरात अंतर्राष्ट्रीय समुद्री मध्यस्थता केंद्र (Gujarat International Maritime Arbitration Centre: GIMAC)
- 21 जून, 2021 को गुजरात मैरीटाइम यूनिवर्सिटी (गुजरात समुद्री विश्वविद्यालय) ने ‘गुजरात अंतर्राष्ट्रीय समुद्री मध्यस्थता केंद्र’ को बढ़ावा देने के लिये गिफ्ट सिटी में ‘अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण’ के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये।
- विदित हो कि इस समझौता ज्ञापन( MoU) का उद्देश्य संयुक्त रूप से ‘गुजरात अंतर्राष्ट्रीय समुद्री मध्यस्थता केंद्र’ (GIMAC) की स्थापना का समर्थन करना है।
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि यह देश में अपनी तरह का पहला केंद्र होगा, जो समुद्री और शिपिंग क्षेत्र से संबंधित विवादों की मध्यस्थता और पंचाट कार्यवाही का प्रबंधन करेगा।
- उल्लेखनीय है कि यह मध्यस्थता केंद्र एक समुद्री क्लस्टर का हिस्सा होगा, जिसे गांधीनगर स्थित ‘गुजरात मैरीटाइम बोर्ड’ (GMB) द्वारा गिफ्ट सिटी में स्थापित किया जा रहा है।
आवश्यकता
- भारत सरकार द्वारा हाल ही में मध्यस्थता एवं सुलह (संशोधन) अधिनियम, 2021 को अधिसूचित किया गया है, जिसे भारत को अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता केंद्र बनाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।
- मध्यस्थता से अभिप्रायएक प्रकार की विवाद समाधान पद्धति से है, जहाँ दो या दो से अधिक पक्षों के बीच उत्पन्न होने वाले विवादों को राज्य के कानूनी निकायों के बजाय उनके द्वारा नियुक्त मध्यस्थों द्वारा हल किया जाता है।
- पूरे भारत के सन्दर्भ में बात करें तो वर्तमान में देश में 35 से अधिक मध्यस्थता संस्थान हैं परन्तु इसमें से कोई भी विशेष तौर पर समुद्री क्षेत्र के विवादों का निपटारा करने से संबंधित नहीं है
उद्देश्य- इसका उद्देश्य समुद्री और शिपिंग विवादों पर केंद्रित एक विश्व स्तरीय मध्यस्थता केंद्र स्थापित करना है, जो भारत में परिचालन वाली संस्थाओं के बीच वाणिज्यिक और वित्तीय संघर्षों को हल करने में मदद कर सके। अब तक भारतीय पक्षों से जुड़े मध्यस्थता मामलों की सुनवाई सिंगापुर मध्यस्थता केंद्र में की जाती रही है। वैश्विक स्तर पर लंदन को समुद्री एवं शिपिंग क्षेत्र के लिये मध्यस्थता का महत्त्वपूर्ण केंद्र माना जाता है।
लाभ
- इस व्यवस्था के बाद तीव्र विवाद समाधान की सुविधा प्राप्त होगी।
- इस व्यवस्था के बाद अंतर्राष्ट्रीय समुद्री समुदाय के बीच ‘गिफ्ट स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन (SEZ) के आकर्षण में बढ़ोतरी होने की संभावना है।
- इस कदम के बाद विशेषज्ञ मान रहे हैं कि इससे ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस’ में सुधार होगा।
- इस तरह के अधिकरणों न्यायालयों के कार्यभार में कमी आने की संभावना है।
गुजरात मैरीटाइम क्लस्टर क्या है
- गुजरात मैरीटाइम क्लस्टरकी परिकल्पना बंदरगाहों, समुद्री नौवहन और रसद सेवा प्रदाताओं के एक समर्पित पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में की गई है।
- ध्यातव्य है कि यह गिफ्ट सिटी, गांधीनगर, जो कि भारत का पहला अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (IFSCA) है, में प्रासंगिक सरकारी नियामक एजेंसियों के साथ समुद्री, शिपिंग उद्योग कंपनियों और सेवा प्रदाताओं की एक शृंखला की मेज़बानी करेगा।
परियोजना की वर्तमान स्थिति
- गौरतलब है कि इस मध्यस्थता केंद्र के लिये कर्मचारियों की भर्ती की प्रक्रिया चल रही है।अगले कुछ महीनों में मध्यस्थों का एक पैनल भी चुना जाएगा।
- विदित हो कि गुजरात अंतर्राष्ट्रीय समुद्री मध्यस्थता केंद्र के लिये एक 10-सदस्यीय सलाहकार बोर्ड बनाया गया है, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ और पेशेवर शामिल हैं। ये मध्यस्थता केंद्र के लिये नियम बनाने और मध्यस्थों को सूचीबद्ध करने में मदद करेंगे।
- गुजरात समुद्री विश्वविद्यालय के निदेशक प्रोफेसर एस. शांताकुमार को इस मध्यस्थता केंद्र का निदेशक नियुक्त किया गया है।
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