प्रोजेक्ट सीबर्ड (Project Sea Bird)
हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कर्नाटक के कारवार नौसेना अड्डे का दौरा कर ‘प्रोजेक्ट सीबर्ड’ के तहत जारी ढांचागत निर्माण के विकास कार्यों का जायजा लिया।
क्या है ‘प्रोजेक्ट सीबर्ड’?
- कारवार में नए नौसैनिक अड्डे के निर्माण को आगे बढ़ाने के लिए 1999 में ‘प्रोजेक्ट सीबर्ड’ को मंजूरी दी गई थी। इस परियोजना के पहले चरण को 2005 में पूरा किया गया था और 31 मई 2005 को इसे नौसेना के लिए चालू कर दिया गया था। प्रोजेक्ट सीबर्ड के चरण II की शुरुआत 2011 में हुई, लेकिन पर्यावरणीय अनुमति न मिलने के कारण प्रोजेक्ट अटका रहा है।
- वित्तीय लागत- इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 3 बिलियन रुपए है। इस प्रोजेक्ट का दूसरा चरण पूरा होने के बाद यह ‘स्वेज कैनाल’ के पूर्वी तरफ दुनिया का सबसे बड़ा नौसैनिक अड्डा होगा।
परियोजना के बारे में मुख्य बातें-
- उल्लेखनीय है कि यह भारत की सबसे बड़ी नौसैनिक बुनियादी ढांचा परियोजना है।
- गौरतलब है कि इस परियोजना का उद्देश्य, भारत के पश्चिमी तट पर कारवार में एक नौसैनिक अड्डे का निर्माण करना है।
- इस परियोजना के पूरा होने के बाद कारवार नौसैनिक अड्डा, पश्चिमी तट पर भारत का सबसे बड़ा नौसैनिक अड्डा और स्वेज नहर के पूर्व में सबसे बड़ा नौसैनिक अड्डा बन जाएगा।
- यह सशस्त्र बलों की सैन्य अभियान सम्बंधी तैयारी को और मजबूत करेगा और व्यापार, अर्थव्यवस्था और मानवीय सहायता अभियानों को बढ़ाने में मदद करेगा।
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