चीन द्वारा भारतीय सीमा के नजदीक तिब्बत में पहली बुलेट ट्रेन की शुरुआत

चीन द्वारा भारतीय सीमा के नजदीक तिब्बत में पहली बुलेट ट्रेन की शुरुआत

हाल ही में चीन ने तिब्बत के सुदूर हिमालयी क्षेत्र में अपनी पहली पूर्ण विद्युतीकृत बुलेट ट्रेन का संचालन शुरू कर दिया है। विदित हो कि यह बुलेट ट्रेन, तिब्बती प्रांत की राजधानी ल्हासा और अरुणाचल प्रदेश के करीब रणनीतिक रूप से स्थित न्यिंगची शहर को जोड़ती है। उल्लेखनीय है कि यह रेलवे लाइन ‘सिचुआन-तिब्बत रेलवे’ का एक खंड है।

तिब्बत में बुलेट ट्रेन

मुताबिक सिचुआन-तिब्बत रेलवे के तहत इस परियोजना का विकास किया गया है और एक जुलाई, 2021 को चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी की 100वीं वर्षगांठ से पहले इस बुलेट ट्रेन को शुरू कर दिया गया है। ये बुलेट ट्रेन ल्हासा से न्यिंगची स्टेशनों के बीच 435.5 किलोमीटर की दूरी तय करेगी। रिपोर्ट के मुताबिक तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन शुक्रवार सुबह को खुली है और ये ल्हासा को न्यिंगची को जोड़ेगी और ये एक फक्सिंग बुलेट ट्रेन है, जिसका आधिकारिक तौर पर संचालन शुरू हो गया है।

पठारों से गुजरेगी बुलेट ट्रेन

चीन द्वारा तिब्बत में शुरू की गई ये बुलेट ट्रेन किंघई-तिबब्त पठार के दक्षिण-पूर्व से होकर गुजरेगी, जिसे दुनिया के सबसे भूगर्भीय रूप से बेहद सक्रिय क्षेत्रों में से एक होने का दर्जा हासिल है। किंघई-तिब्बत के बाद सिचुआन-तिब्बत रेलवे तिब्बत का दूसरा रेलवे परियोजना है। चीन ने इस रेल परियोजना को चीन की सीमा क्षेत्र में स्थिरता लाने के लिए बढ़ाया गया एक महत्वपूर्ण कदम बताया था।

बुलेट ट्रेन की खासियत

ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक सिचुआन-तिब्बत रेल मार्ग सिचुआन प्रांत की राजधानी चेंगदू से शुरू होकर तिब्बत में दाखिल होगा और तिब्बत से होते हुए ये रेलमार्ग चमदो तक जाएगा।

इस बुलेट ट्रेन के शुरू होने के बाद अब चेंकदू से ल्हासा तक की दूरी जो पहले 48 घंटे में तय की जाती थी, उसे अब सिर्फ 13 घंटे में पूरा कर लिया जाएगा। आपको बता दें कि न्यिंगची, मेडोग प्रांत में स्थित एक शहर है, जो भारत के अरूणाचल प्रदेश राज्य की सीमा से सटा हुआ है।

अरूणाचल प्रदेश पर चीन की नजर

ध्यातव्य है कि पहले चीन ने भारत के अभिन्न हिस्से अरूणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा बताया था, जिसे भारत की तरफ से सिरे से खारिज कर दिया गया था।

विदित हो कि भारत-चीन सीमा विवाद में 3 हजार 488 किलोमीटर लंबी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल शामिल है, जिसे हम आम भाषा में एलएसी कहते हैं। चीन का मानना है कि भारत-चीन सीमा पर अगर कोई विवाद जैसी स्थिति उत्पन्न होती है या कोई संकट का वातावरण बनता है, तो इस रेलवे के जरिए चीन को रणनीतिक सामग्री पहुंचाने में बहुत बड़ी मदद मिलेगी। इस तरह देखा जाये तो ऐसे में देखा जाए तो रणनीतिक तौर पर अरूणाचल प्रदेश से लगती सीमा पर तिब्बत के पास भारत के लिए चुनौती बढ़ गई है

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